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कारोबार जगत से खबर है कि ई-कॉमर्स कंपनियां दिवाली पर 50 हजार करोड़ का बिजनेस कर सकती हैं, जो 4 साल पहले तक 1 हजार करोड़ रुपए से भी कम था। वहीं, संसद का मानसून सत्र जल्द खत्म होने की संभावना है। बहरहाल, शुरू करते हैं मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ... आज इन 3 इवेंट्स पर रहेगी नजर अब कल की 7 महत्वपूर्ण खबरें 2. सुशांत मामले में एम्स की टीम अगले हफ्ते रिपोर्ट सौंपेगी 3. बंगाल-केरल से अलकायदा के 9 आतंकी पकड़ाए 4. 22 साल में 29 पार्टियों ने छोड़ा एनडीए का साथ 5. भारत-चीन सीमा पर तैनात डॉक्टर-सोल्जर्स की कहानी 6. ई-कॉमर्स कंपनियां कर सकती है 50 हजार करोड़ रु. तक का कारोबार 7. वैष्णो देवी में 5000 लोग कर सकेंगे दर्शन, बाहरी राज्यों से सिर्फ 500 ही अब 20 सितंबर का इतिहास 1933: सामाजिक कार्यकर्ता और हिंदुस्तान की आजादी के लिए लड़ने वाली अंग्रेज महिला एनी बेसेंट का निधन हुआ था। जाते-जाते अब जिक्र गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य का। आज ही के दिन 1911 में उनका जन्म हुआ था। पढ़िए उनका एक विचार। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3kpTNeq via Viral Bix via Blogger कंगना पर टिका है इंडस्ट्री का 250 करोड़ का दांव; सुशांत केस में कैसे हुई लापरवाही; IPL में आज पंजाब से भिड़ेगी दिल्ली
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आज का दिन महिलाओं के लिए बहुत खास है। इससे जुड़ी घटना भले ही टेनिस की है, लेकिन इसने महिला अधिकारों, खास तौर पर खेलों में बराबरी की नींव रखी थी। 'बैटल ऑफ सेक्सेस' कहकर प्रचारित 1973 में खेले गए इस टेनिस मुकाबले में एक लाख डॉलर की पुरस्कार राशि थी। उस समय 29 साल की बिली जीन किंग ने 55 साल की पूर्व नंबर एक टेनिस खिलाड़ी बॉबी रिग्स की चुनौती स्वीकार की थी। दरअसल, रिग्स का दावा था कि महिलाओं के टेनिस में कोई दम नहीं है। वह इस उम्र में भी किसी भी महिला टेनिस खिलाड़ी को हरा सकते हैं। हालांकि, उनका दावा खोखला साबित हुआ। बिली किंग ने ह्यूस्टन एस्ट्रोडोम में खेले गए मैच में सीधे सेट्स में 6-4, 6-3, 6-3 से हराया था। यह टेनिस मुकाबला काफी लोकप्रिय हुआ। 30 हजार दर्शकों ने ह्यूस्टन एस्ट्रोडोम में मैच को देखा जबकि करीब 5 करोड़ लोगों ने टीवी पर। किंग ने टेनिस कोर्ट पर क्लियोपाट्रा की स्टाइल में पुरुष गुलामों के साथ प्रवेश किया था। वहीं, रिग्स महिला मॉडल्स के साथ कोर्ट पहुंचे थे। किंग की जीत ने महिलाओं के प्रोफेशनल टेनिस को स्थापित करने में मदद की। साथ ही महिला एथलीट्स की क्षमता को भी साबित किया। इस जीत को महिलाओं के अधिकारों की जीत के तौर पर भी देखा गया। 1857 में दिल्ली पर कब्जे के साथ कमजोर हुआ पहला स्वतंत्रता संग्राम ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम में 20 सितंबर एक अहम पड़ाव साबित हुआ। तब भारतीय राजाओं ने बड़े भूभाग पर कब्जा जमाकर वहां से अंग्रेजों को भगा दिया था। लेकिन कंपनी ने पलटवार किया। इंग्लैंड से गोला-बारूद मंगवाया गया। पहला पड़ाव था दिल्ली। कंपनी की फौजों ने जुलाई से लेकर सितंबर तक दिल्ली की घेराबंदी कर रखी थी। जैसे ही अतिरिक्त गोला-बारूद दिल्ली के पास पहुंचा, कंपनी की जीत आसान हो गई। 20 सितंबर को अंग्रेज फौजों ने दिल्ली पर फिर कब्जा कर लिया था। अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर की आंखों के सामने उनके तीन बेटों को गोली मारी गई। बाद में उन पर मुकदमा चलाकर उम्रकैद की सजा दी गई। रंगून की जेल में ही उन्होंने अंतिम सांस ली। 2004 में इसरो ने पहला एजुकेशन सैटेलाइट एडुसेट लॉन्च किया भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र यानी इसरो ने 20 सितंबर 2004 को जीसैट-3 लॉन्च किया था, जिसे जिसे एडुसैट के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत का पहला डेडिकेटेड एजुकेशनल सैटेलाइट है। इससे सैटेलाइट-बेस्ड टू-वे कम्युनिकेशन स्थापित हुआ, जिससे क्लासरूम में एजुकेशनल कंटेंट डिलीवर किया जा रहा है। कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के दौरान एडुसैट का इस्तेमाल कई राज्यों में सरकारी स्कूलों तक एजुकेशनल कंटेंट पहुंचाने के लिए हुआ है। 2011 में अमेरिका में डोंट आस्क, डोंट टेल पॉलिसी खत्म 20 सितंबर 2011 को अमेरिकी मिलिट्री में डोंट आस्क, डोंट टेल पॉलिसी खत्म हुई। 1990 में क्लिंटन प्रशासन ने मिलिट्री में समलैंगिकों की इंट्री पर प्रतिबंध लगाया था। इसे ही बाद में डोंट आस्क, डोंट टेल पॉलिसी नाम दिया गया। इसके तहत समलैंगिकों को तब तक काम करने की इजाजत थी, जब तक कि उनकी पहचान साबित नहीं होती या जांच में सामने नहीं आ जाती। प्रेसिडेंट बराक ओबामा ने कांग्रेस में रिपब्लिकन पार्टी के विरोध के बाद भी इस पॉलिसी को खत्म किया था। इतिहास में आज को इन घटनाओं के लिए भी याद किया जाता है...
जन्मदिन
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3hR9NnP via Viral Bix via Blogger 47 साल पहले बिली जीन किंग ने जीता था 'बैटल ऑफ द सेक्सेस', पुरुष टेनिस खिलाड़ी बॉबी रिग्स को सीधे सेट्स में हराया था कगस इलवन पजब न 6 सल पहल यएई म आईपएल क सभ 5 मच जत थ लकन इस बर सपनरस क दम पर दलल कपटलस भर पड सकत ह9/19/2020
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आईपीएल के 13वें सीजन का दूसरा मैच किंग्स इलेवन पंजाब और दिल्ली कैपिटल्स के बीच आज दुबई में खेला जाएगा। यूएई में पंजाब टीम अब तक एक भी मैच नहीं हारी है। टीम ने यहां 2014 में सभी 5 मैच में जीत दर्ज की थी। साथ ही पंजाब पंजाब ने पिछले तीन सीजन में अपना पहला मैच जीता है। ऐसे में टीम अपने इस रिकॉर्ड को बरकरार रखना चाहेगी। हालांकि, इस बार बेहतरीन स्पिनर्स से सजी दिल्ली कैपिटल्स भारी पड़ सकती है। टीम में दिग्गज रविचंद्रन अश्विन, अमित मिश्रा और अक्षर पटेल जैसे अनुभवी स्पिनर्स हैं। इनको स्लो पिच पर काफी मदद मिलेगी और इनकी दम पर दिल्ली इस बार अपना पहला खिताब जीतने की भी पूरी कोशिश करेगी। अश्विन पिछली बार पंजाब टीम के कप्तान थे। यूएई में दिल्ली का खराब रिकॉर्ड इन रिकॉर्ड्स पर रहेगी नजर
हेड-टु-हेड पिच और मौसम रिपोर्ट: दुबई में मैच के दौरान आसमान साफ रहेगा। तापमान 28 से 37 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है। पिच से बल्लेबाजों को मदद मिल सकती है। यहां स्लो विकेट होने के कारण स्पिनर्स को भी काफी मदद मिलेगी। टॉस जीतने वाली टीम पहले बल्लेबाजी करना पसंद करेगी। यहां हुए पिछले 61 टी-20 में पहले बल्लेबाजी वाली टीम की जीत का सक्सेस रेट 55.74% रहा है।
दिल्ली अकेली टीम, जो अब तक फाइनल नहीं खेली पंजाब में गेल, राहुल और मैक्सवेल पर अहम जिम्मेदारी दिल्ली में युवा खिलाड़यों पर रहेगा दारोमदार आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3iSRujO via Viral Bix via Blogger किंग्स इलेवन पंजाब ने 6 साल पहले यूएई में आईपीएल के सभी 5 मैच जीते थे, लेकिन इस बार स्पिनर्स के दम पर दिल्ली कैपिटल्स भारी पड़ सकती है एमएसप कय ह जसक लए कसन सडक पर ह और सरकर क नए कनन क वरध कर रह ह? कय महतव ह कसन क लए एमएसप क?9/19/2020
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केंद्र सरकार खेती-किसानी के क्षेत्र में सुधार के लिए तीन विधेयक लाई है। इन विधेयकों को लोकसभा पारित कर चुकी है। इन विधेयकों से पंजाब और हरियाणा समेत कुछ राज्यों में किसान नाराज हैं। उन्हें अपनी उपज पर मिलने वाले न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की चिंता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर यह साफ कर चुके हैं कि एमएसपी खत्म नहीं होने वाला। वह विपक्षी पार्टियों पर किसानों को गुमराह करने का आरोप लगा रहे हैं। एनडीए की घटक पार्टी शिरोमणि अकाली दल भी इस मुद्दे पर सरकार से नाराज है। हरसिमरत कौर बादल ने तो केंद्रीय कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है। किसानों और विपक्षी पार्टियों को एमएसपी खत्म होने का डर है।
क्या है एमएसपी या मिनिमम सपोर्ट प्राइज?
इसकी जरूरत क्यों है और यह कब लागू हुई?
एमएसपी का किसानों को किस तरह लाभ हो रहा है?
इस कानून से किसानों को मिलने वाले एमएसपी पर क्या असर होगा?
आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3mvv1v8 via Viral Bix via Blogger एमएसपी क्या है, जिसके लिए किसान सड़कों पर हैं और सरकार के नए कानूनों का विरोध कर रहे हैं? क्या महत्व है किसानों के लिए एमएसपी का?
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बड़ा सा एयरकंडीशंड टीन शेड, लाइन में लगे हजारों बिस्तर, उन पर आराम कर रहे कोरोना संक्रमित। जहां तक नजर जाती है बस मरीज ही नजर आते हैं। मेडिकल स्टाफ और मरीजों के बीच में एक ट्रांसपेरेंट प्लास्टिक शीट लगी है जिसके पास लाइन में वे लोग खड़े हैं, जिनकी रिपोर्ट नेगेटिव आई है और अब उन्हें डिस्चार्ज होना है। वॉर्ड का दौरा कर रहे डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ प्रशांत मिश्रा से डिस्चार्ज हो रहा एक मरीज कहता है, ‘क्या मैं कैब बुलाकर घर चला जाऊं।' डॉ. मिश्रा उसे समझाते हैं, ‘यहां सबकुछ एक व्यवस्था के तहत हो रहा है। आपको सुरक्षित घर पहुंचाना हमारी जिम्मेदारी है। एंबुलेंस की व्यवस्था की जा रही है। वो ही आपको घर छोड़ेगी।' दिल्ली के बाहरी छोर छतरपुर में राधा स्वामी सत्संग ब्यास के कैंपस में दुनिया का सबसे बड़ा कोविड केयर केंद्र शुरू किया गया है, जिसकी कमान भारत के अर्धसैनिक बल आईटीबीपी के हाथ में है। यहां जरूरत पड़ने पर दस हजार बिस्तर लगाए जा सकते हैं। अभी दो हजार बिस्तरों पर संक्रमितों को भर्ती किया जा रहा है। महिलाओं के लिए अलग से वॉर्ड बनाया गया है। यहां पांच दिनों से भर्ती पूजा कहती हैं, ‘मुझे लग रहा है,, मैं अच्छे माहौल में हूं और सुरक्षित हूं। यहां हमें अस्पताल से भी बेहतर सुविधाएं दी जा रही हैं। यहां हम एक डिसिप्लिन में रह रहे हैं। समय पर खाना मिल रहा है। समय पर मेडिकल स्टाफ हालचाल पूछ रहा है।' पूजा कहती हैं, ‘यहां की सबसे अच्छी बात है टीम का व्यवहार। वो हमसे अच्छे से बात करते हैं। काउंसलिंग करते हैं और हर संभव मदद करने की कोशिश करते हैं। उनकी हम लोगों के साथ बॉन्डिंग बहुत अच्छी है।' पूजा के साथ ही खड़ी सरिता भी उनकी हां में हां मिलाते हुए कहती हैं, ‘लग ही नहीं रहा हम घर से दूर हैं।' यहां भर्ती लोगों के चेहरे पर तनाव या चिंता नजर नहीं आती। अधिकतर लोग बिस्तरों पर आराम कर रहे हैं। कुछ लाइब्रेरी से पुस्तकें ले रहे हैं। कुछ कुर्सियों पर बैठे हैं। यहां हो रहे हर काम में एक अनुशासन नजर आता है जो सिर्फ स्टाफ में ही नहीं, मरीजों में भी है। यहां सबसे अधिक ध्यान संक्रमितों की मानसिक सेहत का रखा जा रहा है। इंस्पेक्टर सुमन यादव और ब्रजेश कुमार एजुकेशन एंड स्ट्रेस काउंसलर हैं। उनकी टीम का काम मरीजों का तनाव कम करना है। वो बताती हैं, ‘सुबह मरीजों को योग कराया जाता है, शाम को मेडिटेशन कराया जाता है। हर मरीज की काउंसलिंग की जाती है। हम मरीजों को ये अहसास कराते हैं कि हम उनके साथ हैं।' वो कहती हैं, ‘कोरोना का नाम सुनते ही लोग घबरा जाते हैं। संक्रमण का पता चलने पर तनाव में आ जाते हैं। हम उन्हें ये अहसास दिलाते हैं कि आप सुरक्षित हाथों में है और आपको कुछ नहीं होगा। हम उन्हें दिमागी तौर पर मजबूत करते हैं। हम उनकी छोटी से छोटी बात सुनते हैं। जब सारा स्टाफ उनके साथ खड़ा होता है तो उन्हें लगता है कि हम अकेले नहीं हैं।' इंस्पेक्टर ब्रजेश कहते हैं, "ये महामारी का समय है। बहुत चुनौतियां भी हैं। लेकिन हमारी टीम उन्हें संभाल लेती है। हम टीम वर्क करते हैं और अधिकारियों के निर्देश का पालन करते हैं।’ डॉ. रीता मोगा मेडिकल स्पेशलिस्ट हैं। वह उन मरीजों का ध्यान रखती हैं जो पहले से किसी और बीमारी से भी पीड़ित हैं। वह कहती हैं, "यहां मरीज बहुत ज्यादा हैं। कई बार उनसे बात करने में मुश्किल होती है। मरीजों के साथ कोई नहीं है। हमें ही उनकी हर जरूरत का भी ध्यान रखना होता है। हमें उनकी हर चीज में मदद भी करनी होती है।" डॉ. रीता कहती हैं, 'बुजुर्गों का अधिक ध्यान देना पड़ता है। उन्हें मास्क पहनने के लिए भी समझाना पड़ता है।’डॉ रीता और यहां काम कर रहे दूसरे मेडिकल स्टाफ घर नहीं जा रहे हैं। उनके रहने का इंतेजाम पास ही किया गया है। वो कहती हैं, "सबसे मुश्किल होता है पीपीई किट पहनकर मरीजों को देखना और घरवालों को ये समझाना की हम यहां ठीक हैं।" आईटीबीपी के फार्मासिस्ट सुशील कुमार बताते हैं, ‘यहां आ रहे मरीजों के लिए खाने का बंदोबस्त राधा स्वामी सत्संग की ओर से किया जा रहा है। मरीजों को दिन में तीन बार काढ़ा, दो बार चाय, गरम पानी और भोजन मुफ्त उपलब्ध करवाया जाता है।' यहां जब मरीज पहुंचते हैं तो उन्हें एक मेडिकल किट भी दी जाती है जिसमें बाकी जरूरी चीजों के अलावा च्यवनप्राश भी होता है। सुशील बताते हैं, "बच्चों और कुछ विशेष जरूरत वाले मरीजों की डाइट डॉक्टर की सलाह के मुताबिक तैयार की जाती है।" भारत में इस समय रोजाना कोरोना संक्रमण के करीब एक लाख नए मामले सामने आ रहे हैं और ये तादाद दुनिया में सबसे ज्यादा है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जुलाई के पहले सप्ताह में सरदार पटेल कोविड केयर केंद्र शुरू किया। इसमें दिल्ली सरकार, दिल्ली के नगर निगम, राधा स्वामी सत्संग व्यास और कई अन्य गैर सरकारी संगठन सहयोग दे रहे हैं। इसकी कमान आईटीबीपी के हाथ में है। यहां अब तक करीब पांच हजार संक्रमित भर्ती हो चुके हैं। यहां बिना लक्षणों वाले या हल्के लक्षणों वाले मरीज भर्ती किए जाते हैं। अभी तक यहां एक भी मरीज की मौत नहीं हुई है। डॉ. प्रशांत मिश्रा बताते हैं, ‘यहां 1800 सामान्य बिस्तर हैं जबकि 200 बिस्तरों पर ऑक्सीजन सपोर्ट है। आपात स्थिति के लिए आईसीयू भी तैयार किया गया है।' इस अस्थायी अस्पताल को बहुत ही कम समय में तैयार किया गया और ये काफी चुनौतीपूर्ण भी था। डॉ मिश्रा बताते हैं, 'हमारे डॉक्टर अभी तक अस्पताल या ऐसी जगह काम करते रहे थे जहां प्रॉपर इंफ्रास्ट्रक्चर था। लेकिन यहां हमने गृह मंत्रालय के निर्देश में महामारी के समय ये अस्थाई अस्पताल बनाया है। सीमित समय में ये काम करना काफी चुनौतीपूर्ण था।' वह बताते हैं, "25 जून को इस केंद्र को बनाने को लेकर हमारी पहली मीटिंग हुई थी और 05 जुलाई को हमने पहले मरीज को भर्ती कर लिया था। डॉ. मिश्रा बताते हैं, 'आईटीबीपी के महानिदेशक एसएस देशवाल ने इस काम के लिए टीम गठित की। हमारे लिए यही निर्देश है कि जो भी यहां से जाए अच्छा महसूस करता हुआ जाए। हम सब इसी टॉस्क में जुटे हैं।' इस कोरोना केंद्र में 17 दिन के बच्चे से लेकर 78 साल तक के बुजुर्ग आ चुके हैं। डॉ मिश्रा कहते हैं, 'बहुत से संक्रमित ऐसे आते हैं जिन्हें पहले से और भी बीमारियां होती हैं। कई को तो पता भी नहीं होता कि वो डायबिटीज या हाइपरटेंशन जैसी बीमारी से पीड़ित हैं।' इस कोरोना केंद्र में अभी तक मेडिकल स्टाफ का कोई भी व्यक्ति संक्रमित नहीं हुआ है। जीरो फीसदी इंफेक्शन है। डॉ. मिश्रा कहते हैं, 'हमने बायो मेडिकल वेस्ट को डिस्पोज करने के लिए प्लानिंग की है। हमने कई प्रोटोकॉल और एसओपी बनाए हैं जिनका हर स्तर पर पालन किया जा रहा है। अभी तक हमारी कामयाबी का कारण हमारा डिसिप्लिन ही है। यहां हर कोई अनुशासन में रहकर अपना काम कर रहा है।' इस कोविड केंद्र के बायो मेडिकल वेस्ट का कलेक्शन दक्षिण दिल्ली नगर निगम की टीम करती है। वह कहते हैं, 'हमारा काम वायरस की चेन को तोड़ना है। लोगों के सहयोग के बिना हम ये काम नहीं कर सकते। अच्छी बात ये है कि हमें सबका सहयोग मिल रहा है।' आईटीबीपी इस समय सरहद पर चीन से और सरहद के भीतर चीन से आए वायरस से जूझ रही है। डॉ. मिश्रा कहते हैं, 'देश ने हम पर भरोसा किया है। दुनिया के इस सबसे बड़े कोविड केंद्र का संचालन अलग तरह का अनुभव है। इसके सबक आगे काम आएंगे।' क्या जरूरत पड़ने पर इस केंद्र की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है, इस सवाल पर मिश्रा कहते हैं, "हमें जो भी आदेश मिलेगा, हमें उसे लागू करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। अब तो हमारे पास अनुभव भी है। 'मैंने इस कोविड केंद्र का दो बार दौरा किया और चीजों को करीब से देखने की कोशिश की। हर बार वही डिसिप्लिन नजर आया। यहां सबकुछ तय प्रोटोकॉल के तहत हो रहा है। और शायद यही डिसिप्लिन इस कोरोना केंद्र की कामयाबी का राज भी है। कोविड केंद्र से ठीक होकर जा रहे एक मरीज रुआंसी आवाज़ में कहते हैं, 'मैं दो दिन निजी अस्पताल में भी रहा। वहां मेरा ध्यान तो नहीं रखा गया। मोटा बिल जरूर थमा दिया गया। यहां फैसिलिटी वर्ल्ड क्लास है और खर्च कुछ भी नहीं।' आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें from Dainik Bhaskar https://ift.tt/32KWGQO via Viral Bix via Blogger एक भी मरीज की मौत नहीं, मेडिकल स्टाफ में जीरो इंफेक्शन, आईटीबीपी ने ये कैसे मुमकिन किया
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इसी साल फरवरी में जदयू के पूर्व नेता और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। जदयू से निकलने के बाद वे पहली बार मीडिया से बात कर रहे थे। प्रशांत जिस जगह पर बैठे थे उसके पीछे महात्मा गांधी की एक फोटो लगी थी और उनका एक कथन “The best politics is right action” लिखा था। आज छह महीने बाद लगता है कि प्रशांत किशोर अपने पीछे लिखे इसी वाक्य को समझ नहीं पाए। अगर समझ भी रहे थे, तो व्यवहार में नहीं ला पाए। उनकी राजनीति से “एक्शन” गायब हो गया है। उसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रशांत किशोर ने 'बात बिहार की' नाम से एक मुहिम की शुरुआत की थी। तब उन्होंने कहा था, 'मैं अगले सौ दिन तक केवल बिहार की हर पंचायत, प्रखंड और गांव में जाऊंगा। बिहार की 8800 पंचायतों में से एक हजार ऐसे लोगों को चुनूंगा, उनसे जुड़ूंगा जो यह समझते हैं कि अगले दस सालों में बिहार को देश के अग्रणी राज्यों में खड़ा होना चाहिए।' लेकिन सौ दिन तो दूर प्रशांत किशोर अगले तीस दिन भी बिहार में नहीं रुके। पटना के एग्जीबिशन रोड में दफ्तर खुला था। सौ से डेढ़ सौ लोग काम कर रहे थे। बिहार में उनकी मुहिम का असर यह हुआ कि खुद को रजिस्टर करवाने के लिए दफ्तर के बाहर सुबह से ही लंबी-लंबी लाइनें लग जाती थीं। ये सब मार्च के आखिर तक बदल गया। दफ्तर बंद हो गया। भीड़ गायब हो गई। प्रशांत किशोर खुद पटना से बाहर चले गए। पटना में जो लोग उनके और उनकी कंपनी आइ-पैक के लिए काम कर रहे थे वे 'मिशन बंगला' में लग गए। सवाल उठता है कि एकदम से ऐसा क्यों हुआ? फरवरी में पूरे जोश के साथ एक मुहिम की लॉन्चिंग करने वाले प्रशांत किशोर एक महीने बाद ही ठंडे क्यों पड़ गए? बिहार से अंग्रेजी अखबार द हिंदू के लिए लिखने वाले वरिष्ठ पत्रकार अमरनाथ तिवारी कहते हैं, 'देखिए… प्रशांत किशोर एक विशुद्ध बिजनेस मैन आदमी हैं। वे इसी तरह से सोचते हैं। यहां उन्होंने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। ऐसे में आप पटना में अपना बड़ा दफ्तर, बड़ी टीम रखकर काम नहीं कर सकते।' 'सरकार उनके खिलाफ हो गई थी। एक राजनीतिक व्यक्ति सरकार से टकरा सकता है। लोग टकराते भी रहे हैं, लेकिन जब आप व्यापार कर रहे हों तो सरकार से भिड़ना मुश्किल होता है। अगर आप भिड़ गए तो उसके बाद वहां रहकर काम करना और भी मुश्किल हो जाता है। खासकर तब जब आपके सामने नीतीश कुमार हों, जो लम्बे वक्त तक अपनी दुश्मनी निभाते हैं।' आज जब बिहार में विधानसभा चुनाव की घोषणा में कुछ दिन बाकी हैं। राजनीतिक पार्टियां ताल ठोक रही हैं। नए-नए समीकरण बन रहे हैं तो ऐसे में सवाल उठता है कि प्रशांत किशोर कहां हैं और क्या कर रहे हैं? जानकारों का कहना है कि प्रशांत किशोर ने इस वक्त अपनी पूरी ताकत पश्चिम बंगाल में लगा रखी है। वे ममता बनर्जी को अगले चुनाव में जीत दिलवाना चाहते हैं। खबर ये भी है कि प्रशांत किशोर की पिछले दिनों पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से मुलाकात हुई है और उन्हें पंजाब में कोई बड़ा पद मिल सकता है। तो क्या बिहार से बाहर प्रशांत किशोर केवल नए मौके की तलाश में घूम रहे हैं? प्रशांत किशोर पर कंटेंट चोरी का आरोप लगाकर पुलिस से शिकायत करवाने वाले कांग्रेस नेता शाश्वत गौतम को ऐसा नहीं लगता। वे कहते हैं, 'प्रशांत किशोर को कोर्ट से बेल नहीं मिली है। ऐसे में अगर वे आज बिहार जाएंगे तो उन्हें पुलिस गिरफ्तार कर लेगी। वे गिरफ्तारी से बचने के लिए भाग रहे हैं।' शाश्वत गौतम जिस पुलिस केस का जिक्र कर रहे हैं वो इसी साल 27 फरवरी को दर्ज करवाया गया था। गौतम ने आरोप लगाया था कि प्रशांत किशोर ने उनके प्लान का कंटेंट चोरी किया और उसे अपना बताकर 'बात बिहार की' नाम से लॉन्च कर दिया। शाश्वत गौतम की शिकायत पर पुलिस ने प्रशांत किशोर के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 और 406 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया था। फिलहाल ये मामला अदालत में है। तो क्या पुलिस की कार्रवाई ही वह वजह है, जिसने प्रशांत किशोर को बिहार से दूर रखा हुआ है? अमरनाथ तिवारी को ऐसा नहीं लगता है। वे कहते हैं, 'इसकी गुंजाइश थोड़ी कम लग रही है। वे नहीं आ रहे हैं, क्योंकि उन्हें मालूम है कि फिलहाल बिहार में माहौल उनके लिए सही नहीं है।' 'इसलिए वे दिल्ली में कभी-कभार बड़े-बड़े पत्रकारों को इंटरव्यू देकर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते रहते हैं। प्रशांत किशोर को लेकर एक बात समझ लेनी चाहिए कि वे चुनाव लड़वाने का व्यापार करते हैं। ये उनका धंधा है। जो व्यक्ति धंधा करता है, वह अपने हर कदम में नफा-नुकसान देखता है।' बिहार का एक बड़ा वर्ग प्रशांत किशोर को 'बिजनेस मैन' मानता है। राज्य की राजनीति की गहरी समझ रखने वाले चुनावी पंडित तो ये भी मानते हैं कि बिहार को लेकर उन्होंने गलत आकलन किया। बिना सोचे-समझे मोर्चा खोल दिया और जब सब बिखरता हुआ तो दिखा तो निकल गए। वजह चाहे जो भी हों, लेकिन इतना साफ है कि जब बिहार में चुनावी दंगल का मैदान तैयार हो रहा है, तो दंगल लड़ाने और जिताने का दावा करने वाले प्रशांत किशोर गायब हैं। इस वजह से बिहार के चुनावी पंडित राज्य की राजनीति को लेकर उन पर कई गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं। प्रशांत किशोर को लेकर उठ रहे सभी सवालों, उन पर लगाए गए आरोपों का जवाब देने और उनका पक्ष जानने के लिए भास्कर ने उनसे सम्पर्क करने की कोशिश की, लेकिन संभव नहीं हो पाया। इसके बाद हमने उनके वॉट्सऐप पर सवालों की एक फेहरिस्त भेजी। सवाल भेजने के चौबीस घंटे बाद तक उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3kvDZXx via Viral Bix via Blogger 6 महीने पहले बिहार की राजनीति को बदलने का दावा करने वाले प्रशांत किशोर अब गायब क्यों हैं?
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आज का दिन महिलाओं के लिए बहुत खास है। इससे जुड़ी घटना भले ही टेनिस की है, लेकिन इसने महिला अधिकारों, खास तौर पर खेलों में बराबरी की नींव रखी थी। 'बैटल ऑफ सेक्सेस' कहकर प्रचारित 1973 में खेले गए इस टेनिस मुकाबले में एक लाख डॉलर की पुरस्कार राशि थी। उस समय 29 साल की बिली जीन किंग ने 55 साल की पूर्व नंबर एक टेनिस खिलाड़ी बॉबी रिग्स की चुनौती स्वीकार की थी। दरअसल, रिग्स का दावा था कि महिलाओं के टेनिस में कोई दम नहीं है। वह इस उम्र में भी किसी भी महिला टेनिस खिलाड़ी को हरा सकते हैं। हालांकि, उनका दावा खोखला साबित हुआ। बिली किंग ने ह्यूस्टन एस्ट्रोडोम में खेले गए मैच में सीधे सेट्स में 6-4, 6-3, 6-3 से हराया था। यह टेनिस मुकाबला काफी लोकप्रिय हुआ। 30 हजार दर्शकों ने ह्यूस्टन एस्ट्रोडोम में मैच को देखा जबकि करीब 5 करोड़ लोगों ने टीवी पर। किंग ने टेनिस कोर्ट पर क्लियोपाट्रा की स्टाइल में पुरुष गुलामों के साथ प्रवेश किया था। वहीं, रिग्स महिला मॉडल्स के साथ कोर्ट पहुंचे थे। किंग की जीत ने महिलाओं के प्रोफेशनल टेनिस को स्थापित करने में मदद की। साथ ही महिला एथलीट्स की क्षमता को भी साबित किया। इस जीत को महिलाओं के अधिकारों की जीत के तौर पर भी देखा गया। 1857 में दिल्ली पर कब्जे के साथ कमजोर हुआ पहला स्वतंत्रता संग्राम ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम में 20 सितंबर एक अहम पड़ाव साबित हुआ। तब भारतीय राजाओं ने बड़े भूभाग पर कब्जा जमाकर वहां से अंग्रेजों को भगा दिया था। लेकिन कंपनी ने पलटवार किया। इंग्लैंड से गोला-बारूद मंगवाया गया। पहला पड़ाव था दिल्ली। कंपनी की फौजों ने जुलाई से लेकर सितंबर तक दिल्ली की घेराबंदी कर रखी थी। जैसे ही अतिरिक्त गोला-बारूद दिल्ली के पास पहुंचा, कंपनी की जीत आसान हो गई। 20 सितंबर को अंग्रेज फौजों ने दिल्ली पर फिर कब्जा कर लिया था। अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर की आंखों के सामने उनके तीन बेटों को गोली मारी गई। बाद में उन पर मुकदमा चलाकर उम्रकैद की सजा दी गई। रंगून की जेल में ही उन्होंने अंतिम सांस ली। 2004 में इसरो ने पहला एजुकेशन सैटेलाइट एडुसेट लॉन्च किया भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र यानी इसरो ने 20 सितंबर 2004 को जीसैट-3 लॉन्च किया था, जिसे जिसे एडुसैट के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत का पहला डेडिकेटेड एजुकेशनल सैटेलाइट है। इससे सैटेलाइट-बेस्ड टू-वे कम्युनिकेशन स्थापित हुआ, जिससे क्लासरूम में एजुकेशनल कंटेंट डिलीवर किया जा रहा है। कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के दौरान एडुसैट का इस्तेमाल कई राज्यों में सरकारी स्कूलों तक एजुकेशनल कंटेंट पहुंचाने के लिए हुआ है। 2011 में अमेरिका में डोंट आस्क, डोंट टेल पॉलिसी खत्म 20 सितंबर 2011 को अमेरिकी मिलिट्री में डोंट आस्क, डोंट टेल पॉलिसी खत्म हुई। 1990 में क्लिंटन प्रशासन ने मिलिट्री में समलैंगिकों की इंट्री पर प्रतिबंध लगाया था। इसे ही बाद में डोंट आस्क, डोंट टेल पॉलिसी नाम दिया गया। इसके तहत समलैंगिकों को तब तक काम करने की इजाजत थी, जब तक कि उनकी पहचान साबित नहीं होती या जांच में सामने नहीं आ जाती। प्रेसिडेंट बराक ओबामा ने कांग्रेस में रिपब्लिकन पार्टी के विरोध के बाद भी इस पॉलिसी को खत्म किया था। इतिहास में आज को इन घटनाओं के लिए भी याद किया जाता है...
जन्मदिन
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कारोबार जगत से खबर है कि ई-कॉमर्स कंपनियां दिवाली पर 50 हजार करोड़ का बिजनेस कर सकती हैं, जो 4 साल पहले तक 1 हजार करोड़ रुपए से भी कम था। वहीं, संसद का मानसून सत्र जल्द खत्म होने की संभावना है। बहरहाल, शुरू करते हैं मॉर्निंग न्यूज ब्रीफ... आज इन 3 इवेंट्स पर रहेगी नजर अब कल की 7 महत्वपूर्ण खबरें 2. सुशांत मामले में एम्स की टीम अगले हफ्ते रिपोर्ट सौंपेगी 3. बंगाल-केरल से अलकायदा के 9 आतंकी पकड़ाए 4. 22 साल में 29 पार्टियों ने छोड़ा एनडीए का साथ 5. भारत-चीन सीमा पर तैनात डॉक्टर-सोल्जर्स की कहानी 6. ई-कॉमर्स कंपनियां कर सकती है 50 हजार करोड़ रु. तक का कारोबार 7. वैष्णो देवी में 5000 लोग कर सकेंगे दर्शन, बाहरी राज्यों से सिर्फ 500 ही अब 20 सितंबर का इतिहास 1933: सामाजिक कार्यकर्ता और हिंदुस्तान की आजादी के लिए लड़ने वाली अंग्रेज महिला एनी बेसेंट का निधन हुआ था। जाते-जाते अब जिक्र गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य का। आज ही के दिन 1911 में उनका जन्म हुआ था। पढ़िए उनका एक विचार। आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें from Dainik Bhaskar /national/news/kangnas-industry-bets-250-crore-how-negligence-happened-in-sushant-case-delhi-will-face-punjab-in-ipl-today-127736219.html via Viral Bix via Blogger कंगना पर टिका है इंडस्ट्री का 250 करोड़ का दांव; सुशांत केस में कैसे हुई लापरवाही; IPL में आज पंजाब से भिड़ेगी दिल्ली
Viral Bix, Romantic Status Video, Love Status Video, Whatsapp Status, Fb Status, Attitude Status, Friendship Status The FBI and the Secret Service investigate the letter, intercepted before it reached the White House. Viral Bix, Romantic Status Video, Love Status Video, Whatsapp Status, Fb Status, Attitude Status, Friendship Status
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